कृष्णा का पर्यायवाची शब्द | Krishna Ka Paryayvachi Shabd : श्याम, बनवारी, बृज वल्लभ, वासुदेव, मोहन, कन्हैया, गोविंद, मुरारी, वंसीधर, गिरिधर, वनमाली, नंदनंदन, नंदलाल, माधव, दामोदर, गोपीनाथ, मुरलीधर, मुकुंद, हृषीकेश, क्षीरसायी, मधुसुदन, जनार्दन, द्वारकाधीश, नंदकिशोर, गोपाल, बिहारी, केशव आदि, आज की नई पोस्ट कृष्णा का पर्यायवाची शब्द हिंदी में आज इस पोस्ट के माध्यम से जानने की कोशिश करेंगे की कृष्णा का पर्यायवाची शब्द तथा साथ ही क से पर्यायवाची शब्द हिंदी में | (Krishna Ka Paryayvachi Shabd in Hindi) के कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण के माध्यम से इस पोस्ट को पढ़ेंगे।
पर्यायवाची शब्द किसे कहते हैं?
पर्यायवाची शब्द की परिभाषा : वह शब्द जो एक समान अर्थ (एक दूसरे की तरह अर्थ) रखते हैं। वो शब्द पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं।
चुंकि इनके अर्थ में समानता अवश्य रहती है लेकिन इनका प्रयोग विभिन्न प्रकार से होता है पर्यायवाची शब्दों को उसके गुण व भाव के अनुसार प्रयोग किया जाता है क्योंकि एक ही शब्द या नाम हर स्थान पर उपयुक्त नहीं हो सकता है ‘इच्छा’ शब्द के स्थान पर ‘कामना’ शब्द प्रयोग करना कितना शर्मनाक होगा आपको ऐसे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए जो छोटे व प्रचलित हो।
कृष्णा का पर्यायवाची शब्द क्या होता है?
कृष्णा का पर्यायवाची शब्द | Krishna Ka Paryayvachi Shabd |
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श्याम, बनवारी, बृज वल्लभ, वासुदेव, मोहन, कन्हैया, गोविंद, मुरारी, वंसीधर, गिरिधर, वनमाली, नंदनंदन, नंदलाल, माधव, दामोदर, गोपीनाथ, मुरलीधर, मुकुंद, हृषीकेश, क्षीरसायी, मधुसुदन, जनार्दन, द्वारकाधीश, नंदकिशोर, गोपाल, बिहारी, केशव | Shyam, banvari, barge Vallabh, Vasudev, Mohan, Kanhaiya, Govind, Murari, banshidhar, Girdhar, vanmali, Nandnandan, Nandlal, Madhav, Damodar, Gopinath, Muralidhar, Mukund, harsikesh, chirsahi, Madhusudan, Janardhan, darikadhish, nandkishor, Gopal, Bihari, Keshav |
क से शुरू होने वाले पर्यायवाची शब्द
- कन्या – बालिका, कुमारी, कुँआरि, किशोरी, अविवाहिता, अनूढा, बाला,
- कबूतर – परेवा, कपोत, रक्तलोचन, हारीत, पारावृत
- कटाक्ष – आक्षेप, व्यग्य, छींटाकशी
- कच्चा – अनपका, कालपूर्व, अपक्व, अपरिपुष्ट, अप्रौढ,
- कपड़ा – वस्त्र, चीर, अंबर, पट, परिधान, दसन
- कथन – कथनी, बयान, मत, विचार, वक्तव्य,
- कटु – कडवा, तीखा, कठोर, कडा, तेज, रूखा, रुक्ष, तीक्ष्ण, चरपाए, कर्कश, पेरुष
- कब्ज – मलावरोध, मलबद्धता, कोष्ठबद्धता, मलबध, बद्धकोष्ठ
- कानाफूसी – फुसफुस, खुसर-फुसर, फिसफिस
- काक – कौआ, काण, काग, करठ, वायस, पिशुन
- कामुकता – व्यभिचारिता, विषयासक्ति, भोगासक्ति, इन्द्रियलोलुपता, लम्पटता
- कार्तिकेय – कुमार, स्कंद, षडानन, शरभव,
- क्रूर – कठोर, दयाहीन, निर्दयी, निर्दय,
- कुबेर – धनेश्वर, धनपति, धनपाल, धनेश, धनद, यक्षराज, धनाधिप, राजराज, किन्नरेश, अलंकेश, नृपराज, अधिपति
- कुत्सित – नीच, बुरा, खराब, अधम, निकृष्ट, घृणित, लम्पट, गर्हित, हेय
- कूटनीति – छलबल, दाँव-पेंच, घात, कूटयुक्ति, चाल
- कुत्ता – कुक्कुर, श्वान, शुनक, सारमेय, श्वा
- कृतज्ञ – एहसानमन्द, आभारी, ऋणी, उपकृत, अनुगृहीत, कृतार्थ
- कृष्ण – कन्हैया, श्याम, मोहन, वंशीधर, वासुदेव, मुरलीधर, गोविंन्द, गोपीनाथ, नंदलाल, बनवारी, नंदनदन, • बनमाली, गिरिंधर, हृषीकेश, मुरारी, मुकुन्द, दामोदर, ब्रज वल्लभ, क्षमाधव, क्षीरसायी
- कृपा – दया, करुणा, अनुग्रह, अनुकम्पा
- कंदरा – गुफा, गहर, गुहा, खोह
- कंगाल – गरीब, निर्धन, दरिद्र, अकिंचन,
- कपकपी – थरथराहट, थरथरी, प्रकपन
- केला – भानुफल, कदली, रम्भा, मोभा
- केश – बाल, लट, कच, अलक, कुन्तल
- क्रोध – गुस्सा, आक्रोश, प्रकोप , कोप, अमर्ष, रोष, क्षोभ, तैश
- कमल – जलज, पंकज, सरोज, राजीव, अम्भोज, अरविन्द, शतदल, अबुज, नीरज, उत्पल, अब्ज, परिजात, कुबलय, इन्दीवर, पद्म, नलिन, शतपत्र, सरसिज, सरसीरुह, कज, पाथोज, पुण्डरीक, वारिज, सरीसह, कोकनद, तामरस, मकरन्द
- कपड़ा – वस्त्र, चीर, वसन, अम्बर, पट, दुकूल, चैल, परिधर
- कामदेव – मनोभव, मकरध्वज, केतन, मयन, मनोज, मदन, मीन केतु, रतिपति, मनसिज, मन्मथ, पन्चशर, मार, स्मर, कन्दर्प, अनंग, कुसुमशर, पुष्पधन्वा
- कारागार – जेल, कारावास, कैदखाना, बन्दीगृह
- कर – शुल्क, महसूल, मालगुजारी
- किरण – कर, अशु, मरीचि, मयूख, रश्मि
- कोयल – कोकिल, पिक, श्यामा, काकपाली, मदनशलाका, कलघोष, वसन्तदूत
- कंचन – सोना, स्वर्ण, कनक, सुवर्ण
- कल्पवृक्ष – पारिजात, हरिचन्दन, कल्पशाल, देववृक्ष, सुरतरु, मन्दार, कल्पतरू, कल्पद्रुम
- कई – अनेक, कई-एक एकाधिक, नाना, विविध
- कली – कलिका, अँखुवा, कोपल, मुकुल, कल्पशाल, नवपल्लव, जालक, ताम्रपल्लव,
- कण्ठ – ग्रीवा, गला, शिरोधरा
- कर – हाथ, बाँह, भुज, हस्त, पाणि
- कल्याण – मंगल, भलाई, क्षेम, वचना
- कला – फन, हुनर, कौशल, विद्या
कृष्णा से जुडे कुछ रोचक तथ्य
Krishna Ka Paryayvachi Shabd
कृष्ण- श्री कृष्ण बहुत ही नटखट और शरारती स्वभाव के थे। वह हमेशा गोपियों को बहुत ही परेशान करते थे। भगवान कृष्ण को माखन चोर भी कहा जाता है। क्योंकि वह छुपके से लोगों के घरों में जाकर माखन चुरा के खाते थे। वह साथ अपने सारे शाखाओं को भी लेकर जाते थे और माखन चोरी करके खाते थे। गोपियां कृष्ण को पकड़ लेती तो वह अपनी माया से भ्रमित कर देते थे। और गोपियों को बहुत परेशान करते थे।
गोपिया नदी में पानी भरने जाती थी तो कृष्ण उनके मटकी तोड़ देते थे गोपियां मां यशोदा से शिकायत करती तो श्री कृष्ण गोपियों से पहले घर पहुंच जाते मां यशोदा गोपियों की बातें ही नहीं मानती थी।
श्री कृष्ण भगवान और महाभारत में अर्जुन के सार्थी बने थे।
श्री कृष्ण सभी देवों में से सबसे सुंदर माने जाते हैं श्री कृष्ण सांवरे रंग के है। इनकी बांसुरी की धुन सुनकर सभी मग्न हो जाते हैं और इनकी बांसुरी की धुन में लोग खींचे चले जाते थे। इनके 108 नाम है तथा इनकी 108 रानियां हैं और राधा रानी के प्रेमका थी।
श्री कृष्ण ने जिस दिन जन्म लिया था। उस दिन को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।